ह्रदय मेरा मिलन के गीत गाता है ! Ravindra Kumar Soni
ह्रदय मेरा मिलन के गीत गाता है !
Ravindra Kumar Soniकिरण से भोर की दुल्हन ऐसे सज के आई है,
सितारों की चमक से हाथ मे मेहंदी सजाई है।
इस जगमग शहर का रूप से कोई तो नाता है,
ह्रदय मेरा मिलन के गीत गाता है।
तेरे सपनों को मेरे दिल ने कुछ ऐसे संजोया है,
मानो बीज मोहब्बत का घर आँगन में बोया है।
ना ये मन ठहरता है, ना दिल चैन पाता है,
ह्रदय मेरा मिलन के गीत गाता है।
सज के रूप की नदियाँ कई सागर में आई हैं,
मगर मौसम में तेरे रूप की खुशबू समाई है।
इन गलियों को शायद एक ही श्रृंगार भाता है,
ह्रदय मेरा मिलन के गीत गाता है।
मुझसे दूर होकर भी तुम पास रहती हो,
धारा कहीं भी हो मेरी ही ओर बहती हो।
इन नयनों का हर एक छोर तेरी ओर जाता है,
ह्रदय मेरा मिलन के गीत गाता है।