पुष्प की चाह  RATNA PANDEY

पुष्प की चाह

RATNA PANDEY

ख़ुश होता हूँ जब वरमाला बन दो प्रेमियों को मिलाऊँ,
विदाई हो जब दुल्हन की डोली की शान बढ़ाऊँ,
सजा सुहाग की सेज वातावरण को मैं महकाऊँ।
 

हर ख़ुशी के अवसर पर घर की सुंदरता मैं बढ़ाऊँ,
वार त्यौहार पूजा की थाली में रखा जाऊँ
गिर प्रभु के चरणों में सौभाग्यशाली मैं बन जाऊँ।
 

मृत देह पर जो डाला जाऊँ आँसुओं से गीला मैं हो जाऊँ,
फिर भी चाह यही है अंत समय तक,
देह को उनकी ख़ुश्बू से अपनी मैं महकाऊँ।
 

हार बन कर किसी देश भक्त के गले में जो डाला जाऊँ,
गर्व से प्रफुल्लित मैं हो जाऊँ, फूला ना समाऊँ,
चाहता हूँ हर जन्म में पुष्प बनकर ही दुनिया में आऊँ।
 

तिरंगे से लिपटी किसी वीर की मृत देह पर जो डाला जाऊँ,
चाहता हूँ उस देह के साथ लिपट कर,
लेट चिता पर जाऊँ, अमर मैं भी हो जाऊँ।
 

किसी शहीद की समाधि को स्पर्श जो मैं कर पाऊँ,
देश भक्ति से ओत-प्रोत मैं हो जाऊँ,
मैं भी शहीद कहलाऊँ, समाधि को छोड़ कहीं ना जाऊँ।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
1141
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com