सैनिक Anupama Ravindra Singh Thakur
सैनिक
Anupama Ravindra Singh Thakurत्यागकर अपना घर-परिवार और सुख चैन,
एक पल भी नहीं रिसते जिसके नैन,
कड़ी धूप, बारिश और कंपकंपाति सर्दी में,
सजग खड़ा है सैनिक देश की सुरक्षा में।
इसीलिये देश में मनती है होली, दिवाली और रमजान,
बेफिक्र खेलता बचपन और खुशियाँ मनाती जवानी है,
उपवन में मंडराते भँवरे और खेतों में खुशहाली है,
क्योंकि दुशमन के इरादों को उसने नेस्तनाबूत कर रखा है।
जाओ चैन से सो जाओ यारों,
सरहद पर देश का जवान
सर पर कफन बाँधकर खड़ा है,
सर पर कफ़न बाँधकर खड़ा है।