काश ! बेटी पैदा न होती Govind Singh Verma
काश ! बेटी पैदा न होती
Govind Singh Vermaयह कौन से पाप की सज़ा मुझे मिली,
घर मेरे बेटी पैदा हुई कैसे?
पहले पता होता तो गर्भ में दफना देता।
क्यों न इसे कहीं कचड़े में फेंक दूँ,
या फिर यूँही झाड़ियों में छोड़ दूँ,
मुझसे यह पाप न होगा.....
क्योंकि कहीं तो वो पैदा हुआ है
जो इसकी ज़िन्दगी से खेलेगा,
जो देवी हैं, उन्हें नरक सा जीवन देगा।
कौन उसे बलात्कारियों से बचा पाएगा
अब न सड़क सही है न घर के लोग,
जिसके हाथों सुरक्षा का जिम्मा है
उनके हाथ बँधे हैं,
या कुछ ज्यादा ही लंबे हो गए हैं।
खैर अब बेटी पैदा हो ही गई हैं क्या करूँ?
मैंने और श्रीमती ने तय किया है
अब हम बच्चे पैदा करना छोड़ देते हैं,
यही सबसे बेहतर है
उनके लिए भी और हमारे लिए भी।