शब्द  Anupama Ravindra Singh Thakur

शब्द

Anupama Ravindra Singh Thakur

शब्दों का खेल होता है बड़ा ही मजेदार,
बिना हथियार के किया जा सकता है किसी पर भी वार।
 

मृदु शब्द ही मिलवा देते हैं नया साथीदार,
कठोर शब्द से दूर हो जाते हैं अच्छे-अच्छे यार।
 

कभी-कभी एक ही शब्द का प्रयोग कर दो बार-बार,
तो झूठ में भी नज़र आने लगता है सच्चा प्यार।
 

शब्दों से ही तो होता है किसी का निरादर और अपमान,
शब्दों से ही होता है किसी का मान और सम्मान।
 

शब्द ही तो करवाते हैं बड़े-बड़े काम,
मीठे-मीठे शब्दों से हासिल हो सकता है ऊँचा मुकाम।
 

रसीले शब्दों के भी पिलाए जाते हैं जाम,
शब्दों की महफिल में लोग गुज़ारते हैं शाम।
 

शब्दों का भी कवि द्वारा किया जाता हैं श्रृंगार,
काव्य भाषा में वे कहलाते हैं अलंकार।
 

मत करो किसी पर भी शब्द रूपी प्रहार,
करो इनका प्रयोग करके सोच विचार।

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