रात Tuhin Tuhin Harit
रात
Tuhin Tuhin Haritये रात सहर में खो जाए तो,
बातें हमारी कहीं गुम हो जाएँ तो।
एहसास आँखें भीगा दे रो-रो के,
ख्वाब पलकें झुका दे सो-सो के।
फिर कोई नया मसला ढूँढ लाते हम,
बिखरी चादरों की सिलवटों में बंधे किस्से,
कभी इन्हें सुलझाते, अौर कभी उलझाते हम,
किसी बेफ़ज़ूल मुद्दे पर झगड़ें आअो फिरसे।