सब माया है  SIDDHARTHA SHUKLA

सब माया है

SIDDHARTHA SHUKLA

नहीं किसी से लड़ना हमको, दिल को ये समझाया है,
सबको खुश करने की खातिर ख़ुद को भी झुठलाया है।
 

हमें पता है वो पत्थर है, हमें यकीं दीवार है वो,
पर माँ सज़दा करती है सो हमने शीश झुकाया है।
 

इससे भी ज़्यादा धोखे में तो वो लड़की रहती है,
हमने जिसे मोहब्बत कहकर अपने गले लगाया है।
 

इश्क़ तभी तक चलता जब तक दुनियादारी ना आए,
हमने इश्क़ में दुनियादारी लाकर इश्क़ मिटाया है।
 

वक़्त, हवा, और तेरा-मेरा तालमेल है बहुत गज़ब,
घण्टी बजते ही कहता दिल फ़ोन तुम्हारा आया है।
 

मेरी मंज़िल तक ना कोई जाने पाए इस खातिर,
आते-जाते हर आशिक़ को रस्ता ग़लत बताया है।
 

हमसे कोई कहता था कि टूटे दिल से लिखो ग़ज़ल,
सिर्फ़ ग़ज़ल लिखने की खातिर अपना दिल तुड़वाया है।
 

मौत, मक़बरे, और मोहब्बत में ना अंतर कर पाए,
सबने अपने-अपने घर में ताजमहल लटकाया है।
 

गाल पे आए आँसू अक़्सर गिरेबान में पोंछे हैं,
या फिर अपनी आस्तीन को पलकों तक पहुँचाया है।
 

मरने का आसान तरीक़ा ढूँढ़ रही है नई पीढ़ी,
मेरी उम्र के लड़कों ने ये कैसे दिल बहलाया है?
 

प्यार, दोस्ती, रिश्ते, नाते, हमने ऐसे गुज़ारे हैं,
जो भी जैसे काम है आया, हमने काम चलाया है।
 

पहले माफ़ी माँगी मैंने, ग़लती चाहे जिसकी हो,
फिर इक मैसेज-माफ़ीनामा तुमने भी भिजवाया है?
 

शायद जैसा करते हैं हम वैसा ही तो पाते हैं,
शायद मैंने इक चींटी को रस्ते से भटकाया है।
 

मुझे बाप के सौ रुपयों की कीमत समझ में आई तब,
अपनी मेहनत से मैंने जब रुपया एक कमाया है।
 

हम दोनों इक साथ में हैं ये बात मुझे मालूम न थी,
तेरे पते पर लिक्खा था ख़त मेरे घर पर आया है।
 

हमने अक़्सर बैठे-बैठे ऐसी रात गुज़ारी है,
आसमां में चाँद औ’ सूरज दोनों को मिलवाया है।
 

हम भी दुनिया से रूठे हैं, हमको इश्क़ से नफ़रत है,
फूलों पर बैठी तितली को हमने ख़ूब उड़ाया है।
 

महफ़िल में जो चेहरे अक़्सर चुप-चुप गुमसुम रहते हैं,
इन सबने छत-दीवारों पर जी भरकर चिल्लाया है।
 

हमें नहीं मंज़ूर था करना जो सबके दिल को भाए,
लेकिन ज़बरन वही किया जो सबके दिल को भाया है।
 

वो भी मुझको चाह रहा है, मैं भी उसको ढूँढ़ रहा,
ख़ुद में कोई रौशनी सा है, या वो मेरा साया है।
 

जो भी हमने कहा है तुमसे, सब अल्फ़ाज़ का जादू है,
सब कुछ सच कहता हूँ लेकिन, सब माया, सब माया है।

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