अटल जी के नाम PREM KUMAR KULDEEP
अटल जी के नाम
PREM KUMAR KULDEEPएक नेता, एक कवि - एक "मानव" चला गया
मेरी भारत भूमि का एक "अनोखा" लाल चला गया।
ग्वालियार की गलियों में जन्मा, मध्य प्रदेश में पला-बढ़ा,
भारत के कोने-कोने में वो अपना परचम लहरा गया।
क्या जोश था ज़ुबाँ में उसकी, क्या होश था वफ़ा में उसकी,
शेरों सी थर्राती-गगनचुम्बी गूंज वाला, वो परवाना चला गया।
बनकर दसवाँ प्रधानमंत्री, संसद को गर्वित कर गया,
और भारतवासियों को वो राजधर्म का पाठ पढ़ा गया।
परमाणु शक्ति का बन साथी, भारत का नाम कर गया,
और पोकरण में गाढ़ तिरंगा वो "बुद्ध" की तरह मुस्कुरा गया।
हिंदी-हिंदी हम सब करते, वो हिंदी को दिल में बसा गया,
और विश्व पटल पर हिंदी का झंडा, वो अटल बिहारी फहरा गया।
धर्म-जात के जंजालों से खुद को वो बचा गया,
और राजनीती के अखाड़े में वो मानवता को निभा गया।
कर हौसले बुलंद सभी के वो "कारगिल" में जीता गया,
और घोर विरोधी लोगों को भी वो अपना लोहा मनवा गया।
नदिया जोड़ी, सड़कें जोड़ी, जोड़ा उसने इन्सान को
भारत के सपनों की मंज़िल वो हम सब को दिखा गया।
लिखे लेख और लिखी कहानी, कविताएँ वो लिखता गया,
और राष्ट्र "प्रेम" से ओत-प्रोत वो छंद-पे-छंद रचता गया।
सदा अमर रहे धरती पर, वो भारत का अभिमान था,
श्रद्धा सुमन अर्पित है "अटल" को, उनके हर प्रयास का।
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भारत के दसवें प्रधानमंत्री और एक अद्भुत एवं महान कवि, लेखक, चिन्तक, विचारक एवं एक सकारात्मक राजनीतिज्ञ - श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी, जिनका हाल ही १६ अगस्त, २०१८ को देहावसन हुआ है, उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए यह कविता उन्हें समर्पित है। निश्चित ही यह कविता पाठकों को बहुत आकर्षित करेगी एवं पसंद आएगी।