खुदा मैं नाराज़ हूँ तुझसे  Krishn Upadhyay

खुदा मैं नाराज़ हूँ तुझसे

Krishn Upadhyay

ऐ खुदा मैं आज नाराज़ हूँ तुझसे,
तू बता कि क्या गलती है मेरी
जो ये ज़माना मुझसे रूठा-रूठा सा रहता है,
जो दिल हर किसी के दुख में तड़पे,
हर किसी को सुख देने को तरसे,
वही दिल हर समय क्यों टूटा-टूटा सा रहता है।
 

तू बोल, तुझे आज जवाब देना होगा
कि क्या यही था मेरा गुनाह कि मैं
कभी भी झूठ के रास्ते पर नहीं चला,
मिले कई प्रलोभन लेकिन
इस मतलबी दुनिया के रंग में नहीं ढला।
 

ऐ खुदा एक शख्स तो दिया होता मुझे
जो मेरे दर्द को समझ पाता,
लाखों लड़ाई झगड़े होते उसके और मेरे बीच
लेकिन वो मुझे कभी छोड़कर ना जाता।
 

लेकिन तूने तो अपनी रहमत को
उन्हीं लोगों पर बरसाया है,
जिन्होंने झूठ के सहारे हर रिश्तों को छला है,
जिनके मन में केवल पाप ही पाप पला है।
जिन्होंने गरीबों के मुँह से छीना उनका निवाला है,
ना जाने कितने ही घरों की इज्जत को
जिन्होंने तार-तार कर डाला है।
 

क्या यही न्याय है तेरा मुझे बता
क्या यही तेरी अदालत है,
तुझे जीवन के सभी मुकदमे सौंपे थे
क्या यही तेरी वकालत है।
 

अगर यही है तेरा दस्तूर तो ठीक है
अब मुझे इस दुनिया से जुदा कर दे,
निकाल मेरे जिस्म से मेरी रूह
और उसे आज तबाह कर दे।
 

लेकिन जाते-जाते ऐ दुनिया के मालिक
बस यही बात मैं हर बार दोहराऊँगा,
कितना भी तड़पूँ, कितना बी तरसूँ लेकिन,
फ़िर कभी तेरी इस मतलबी फ़रेबी
दुनिया में लौटकर नहीं आऊँगा।

अपने विचार साझा करें




1
ने पसंद किया
1864
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com