फिर उनका दीदार हुआ है Ravindra Kumar Soni
फिर उनका दीदार हुआ है
Ravindra Kumar Soniफिर बगिया में फूल खिला है,
व्याकुल मन को प्रेम मिला है,
खो कर जो हो गए पराए,
फिर उनका दीदार मिला है।
चन्द्र निहारे जिन नयनों को
जिनसे धूमिल शाम है,
बसी है जिनमें राधा रानी
कृष्ण ही जिनका धाम है।
जिन जुल्फों से मोहित है मन,
उन पर फिर अधिकार मिला है,
खो कर जो हो गए पराए,
उन नयनों का दीदार मिला है।
जिन अधरों में प्रेम बसा है,
मधुर है जिनसे मधुशाला,
बसी है जिसमें वीणा सरगम सी,
जिनसे सुरभित है प्याला।
जिन बाहों से मोहित है मन,
उन बाहों का हार मिला है,
खो कर जो हो गए पराए,
उन अधरों का दीदार मिला है।