एक प्यार vishal srivastava
एक प्यार
vishal srivastavaमैं शान्त हूँ, मैं याद हूँ,
तेरी बातों का एक जवाब हूँ।
मैं रूह हूँ, मैं सुकून हूँ,
तेरी धड़कनों का एहसास हूँ।
मैं आम हूँ, मैं खास हूँ,
तेरी बातों की एक किताब हूँ।
मैं विशाल हूँ, मैं राग हूँ,
तेरे स्वरों की वो मीठी आवाज हूँ।
मैं शान्त हूँ ...
मैं अश्रु हूँ, जलधार हूँ,
तेरे होठों की वो थाप हूँ।
मैं प्राण हूँ, मैं देह हूँ,
तेरी बातों का वो निर्मल स्नेह हूँ।
मैं रंग हूँ, मैं भंग हूँ,
तेरे बिना बेरंग हूँ।
मैं चिर प्रकाश, वो दीप्त राह,
तेरे बिन वो सूनी
एक अँधियारी रात हूँ।
मैं विशाल हूँ, मैं सूक्ष्म हूँ,
तेरी धड़कनों का एक मुनासिब
वो जिंदा एक वजूद हूँ।
मैं शान्त हूँ....
मैं विचार हूँ, मैं आग हूँ,
मैं गर्ज-ए-हुुंकार हूँ।
मैं मोम हूँ, मैं राख हूँ,
मैं प्यार की मशाल हूँ।
मैं विशाल हूँ, मैं अनंत हूँ,
तेरे हृदय का वो बीज सही,
मैं उस बीज का निर्मल एक अन्त हूँ।
मैं धर्म हूँ, मैं कर्म हूँ,
तेरे प्यार की आहुति हूँ,
मैं शान्त हूँ, मैं याद हूँ।
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प्रस्तुत कविता में कवि द्वारा विभिन्न प्रकार की व्यंजना को देते हुए एक प्रेमी के अपनी प्रेमिका के प्रति उत्पन्न अन्त:करण के भावों को प्रकृति के विभिन्न चर अचर भावों व अनुभावों के साथ जोड़ते हुए. लेखनी चलाते हुए एक उत्कृष्ट रचना को रचित करने का प्रयास किया है।