हम Anamika Sunda
हम
Anamika Sundaयूँ ही चल दिए थे हम,
यूँ ही निकल दिए थे तुम,
कहाँ सोचा था कि मुलाकात इस तरह होगी,
कड़ी धूप के बाद सुहानी शाम साथ होगी।
अब तो शब्दों की जगह,
एहसास घुलने लगे थे हवाओं में,
आहटों की खुसफुसाहट
नई सी थी फिजाओं में,
बादलों ने तुम्हारा अक्स समेटा
तो घटाओं ने बूंदों में प्यार बरसा दिया।
हवा जो महकाने लगी है छुपे अरमानों को,
दिल ने भी अब तुम्हारे वजूद की
मौजूदगी को फिर खुद में गहरा बसा लिया।