रहगुज़र RAHUL Chaudhary
रहगुज़र
RAHUL Chaudharyऐ रहगुज़र मेरे
सीने की साँस मेरे,
हर अदा तेरी
अब अदाओं में मेरे।
रूह है शामिल
लफ्ज़ में संगदिल,
बेरुखी से तेरी
फीकी मेरे महफ़िल।
थाम लूँ जो बाहों में,
रख लूँ जो सीने में,
तुझसे धड़कन मेरी
रूबरू होने लगी।
इनायत अब शिद्दत से
होती है इन ज़ुल्फ़ों की,
सपने ये भरे से इन आँखों में,
हौले से जगाती हैं।
रफ्ता रफ्ता रहगुज़र
बन जा मेरा हमसफ़र,
हर पल तुझपे है नज़र,
बेइंतेहा है मेरा सफर।