हाँ मैं नारी हूँ Deeksha Dwivedi
हाँ मैं नारी हूँ
Deeksha Dwivediहाँ मैं नारी हूँ,
मेरे नन्हे क़दमों की आहट से कभी आंगन तुम्हारा चहका था,
उस बेरंगी सी क्यारी में खुशियों का चमन वो महका था,
मैं वो ही बेटी दुलारी हूँ,
हाँ मैं नारी हूँ।
नवरात्रि के महीने में तुम घर में मुझे बुलाते थे,
मैया-मैया मुझे कहते थे, कन्या पूजन करवाते थे,
मैं वो ही कन्या कुंवारी हूँ,
हाँ मैं नारी हूँ।
तेरे मस्तक पे तिलक सी, हाथ में राखी सी सजी थी मैं,
कभी खेले संग गुड्डा गुडिया कभी संग बैठ पढ़ी थी मैं,
मैं वो ही बहना प्यारी हूँ,
हाँ मैं नारी हूँ।
मैं बनी सजनिया तेरी तुझे जीवन साथी बनाया था,
ये बिंदिया, चूड़ी, गहना, कजरा सब तेरे लिए सजाया था,
सुख दुख में साझेदारी हूँ,
हाँ मैं नारी हूँ।
उन परम पिता ब्रम्हा के बाद सृष्टि की मैं ही निर्माता हूँ,
तू बालक मेरी कोख से है, मैं ही तो तेरी माता हूँ,
तेरी रक्षक, तेरी ढाल बनी मैं ही वो चार दिवारी हूँ,
हाँ मैं नारी हूँ।
इन सारे रिश्ते नातों को क्यों मर्द भला तू भूल गया,
क्यों डोल गया ईमान तेरा तू मानवता को भूल गया,
मैं तेरी ही दुत्कारी हूँ,
हाँ मैं नारी हूँ।
अब लाँघ गया तू सीमा है, पहुँचाई है आत्मा को क्षति,
नारी लक्ष्मी, नारी दुर्गा, नारी शक्ति, नारी है सती,
मैं नहीं कोई बेचारी हूँ,
हाँ मैं नारी हूँ।
अब सुन ले समझ ले जान ले तू, अन्याय नहीं मैं झेलूँगी,
मेरी ओर उठे जो बुरी नज़र, मैं लहू से उसके खेलूँगी,
मैं तीखी तेज़ कटारी हूँ,
हाँ मैं नारी हूँ।