कविता लिखते हैं Deeksha Dwivedi
कविता लिखते हैं
Deeksha Dwivediबैठे थे शांत हम आंगन में, मन में आई एक बात,
क्यों ना सहेज ले इन पलों को, गुज़र ना जाए जीवन की सौगात,
इन प्रकृति के उपहारों का अभिनंदन करते हैं,
चलो एक कविता लिखते हैं,
चलो एक कविता लिखते हैं।
फिर सोचा हमने चलो आज हम कविता लिखे सितारों पर,
इक खूबसूरत से चाँद के इन पहरेदार हज़ारों पर,
जब भी तन्हा महसूस करो ये संग दिखते हैं,
चलो एक कविता लिखते हैं,
चलो एक कविता लिखते हैं।
फिर सोचा हमने चलो आज हम कविता लिखें बादल पर,
सूरज चंदा तारों के लिए मैया के मानो आंचल पर,
धरती की गोद में आने को बूंद बनकर जो बरसते हैं,
चलो एक कविता लिखते हैं,
चलो एक कविता लिखते हैं।
फिर सोचा हमने चलो आज हम कविता लिखें संगीत पर,
मेरे साथी मेरे हमदम मेरे मनभावन से मीत पर,
मेरे मन के भाव माध्यम जिसके राग बनकर निखरते हैं,
चलो एक कविता लिखते हैं,
चलो एक कविता लिखते हैं।