गलती करो SUBRATA SENGUPTA
गलती करो
SUBRATA SENGUPTAगलती करो, बारंबार गलती करो,
परन्तु एक ही गलती,
दोबारा मत करो।
और गलती भी ऐसी न हो,
जिसका परिणाम मानव समाज में
भयंकर और अहितकारी हो।
गलती करो, बारंबार गलती करो,
परन्तु एक ही गलती,
दोबारा मत करो।
गलती करने का डर
जिसे निरंतर सताता है,
वह अपने जीवन में
कुछ कर गुज़रने का
सामर्थ्य जुटा ही नहीं सकता है।
वह ज़िंदा तो है
परन्तु वह मुर्दा है,
क्योंकि मुर्दे में
कुछ कर गुज़रने का
सामर्थ्य ही नहीं होता है।
वह जो तैरना चाहता है,
परन्तु पानी में उतरने की
गलती नहीं करता है,
क्या वह कभी भी तैर सकता है?
समुद्र की लहरों से जो अपनी कश्ती
किनारा करना चाहता है,
लहरों से लोहा लेने की गलती
किए बिना,
अपनी कश्ती को किनारा
नहीं कर सकता है।
गलती करो, बारंबार गलती करो
परन्तु एक ही गलती
दोबारा मत करो।
गलती वही करता है
जो कुछ करते रहता है,
कुछ करने का आशय यह है
कि वह अपने कौशल, विश्वास
और अपनी एकाग्रचित्तता प्रस्तुत करता है।
इतिहास गवाह है,
मानव ने जितनी भी सफलताएँ
हासिल की हैं,
उन सभी में अनगिनत गलतियाँ सम्मिलित हैं।
गलती करो, बारम्बार करो,
परन्तु अपनी गलती अन्य पर न थोपा करो,
अपनी गलती के परिणाम का
स्वाद स्वयं चखा करो।
यदि यह स्वाद आनंददायक होगा,
तो संपूर्ण मानव समाज अपने आप ही अपनाएगा,
गलती करो, बारंबार करो
परन्तु एक ही गलती दोबारा मत करो।