गुज़ारिश  RAHUL Chaudhary

गुज़ारिश

RAHUL Chaudhary

मिला ले दिल दिल से कोई,
जाम होठों से यूँ मिलकर
झूमता मयखाने में,
साकी भूल पैमाने को।
 

खिल उठें तू और मैं इस कदर,
बेघर ज्यों नए आशियाने में,
धुँधली ना हो घटा कोई,
कश्मकश भरे जमाने में।
 

बेइंतेहा गुज़ारिश इन हवाओं से,
दूर ये पैग़ाम खुशबुओं में ले उड़ जा,
दिला दे एहसास तू रूह को छूकर उसे,
भरपूर इस इंतज़ार का रुख कर अा जा।
 

तमन्नाओं में पिघली धूप,
बेताब ये चाँदनी फिसली महफूज़,
घटाओं में छिपी रोशनी,
ढूढ़ती जमीं का वजूद।
 

सिरफिरे धड़कनों की
खामोश सी हलचल,
लिपट के इन साँसों की
खुश्बू से हर पल।
 

जोड़ ये कैसा अनोखा
मेल इन दो दिलों का,
डोर सा बँधा अनदेखा
दो पहलू एक सिक्के का।
 

अल्फ़ाज़ इन लबों में
तेरे नाम के भरे,
पंखुड़ियाँ महक सी भरी
साँसों में बिखरे।
 

जश्न है जेहन में तेरा
हर वक़्त दिन रात में,
डूबे हम फिजा है डूबी
इश्क़ की बरसात में।

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