कलयुगी रावण  Shanu Sharma

कलयुगी रावण

Shanu Sharma

राम को क्या पता था एक दिन ऐसा भी आएगा,
रावण को दहने खुद रावण ही चला जाएगा,
एक सीता यहाँ हर रोज़ हरेगी,
और रावण ही राम कहलाएगा,
क्या पता था राम को एक दिन ऐसा भी आएगा।
 

त्याग भरत का जब रोज़ छला जाएगा,
बलिदान लक्ष्मण का यूँही रह जाएगा,
बाट जोहने जब रावण की खुद पुरषोत्तम को भेजा जाएगा,
और अपने ही घर से एक राम रोज़ निकाला जाएगा,
क्या पता था राम को एक दिन ऐसा भी आएगा।
 

रेखा जब लक्ष्मण की छोटी रह जाएगी,
धर्म जात उससे आगे निकल जाएगी,
तब साधु कोई यहाँ नहीं आएगा,
खुद रावण ही राम बन सीता हर ले जाएगा,
क्या पता था राम को के एक दिन ऐसा भी आएगा।
 

परीक्षा जानकी की जब हर क्षण ली जाएगी,
बाद उसके भी वह न्याय नहीं पाएगी,
मूक बधिर ये जमाना तब रह जाएगा,
जब अग्नि कुंड स्वयं मेघनाथ सजाएगा,
क्या पता था राम को ऐसा भी एक दिन आएगा।

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