शहर का वो कोना Rakhi Kankane
शहर का वो कोना
Rakhi Kankaneउठा है धुँआ
शहर के एक कोने में...
श्मशान हुआ है
शहर का वो कोना...
किसी का सिर्फ घर ही नहीं
आशियाँ भी जला है...
सपने जले हैं
कुछ रिश्तें जले हैं...
क्यों लिए फिरते हैं
दिलों में आग
और हाथों में मशाल लोग...
क्यों अपने हाथों से
औरों की तक़दीरें जलाते हैं लोग...
दिलों में तो प्यार
और हाथों में हाथ होना चाहिए...
हैं ना..?