प्रकृति हमारी माँ है PREM KUMAR KULDEEP
प्रकृति हमारी माँ है
PREM KUMAR KULDEEPआसमाँ से हमको दुआएँ देती है प्रकृति
और "माँ" की तरह प्यार करती है प्रकृति,
इसने अपना सब कुछ हमें अर्पण कर दिया
और स्वस्थ जीवन के लिए योग-ध्यान दे दिया।
अपने सुनहरे आँचल से ढक कर रखती है हमें
और खुशबू की तरह प्रकृति शुद्ध हवा देती है हमें,
भूगर्भ जल से प्यास हमारी बुझाती है प्रकृति
और सावन की घटाओं से रिमझिम बरसती है प्रकृति।
बंजर खेतों में हरियाली की बयार लाती है प्रकृति
और गमलों में भी गुलाब महकाती है प्रकृति,
हरपल हर क्षण हमें देकर ऑक्सीजन
जीवन हमारा सदा बचाए रखती है प्रकृति।
इसने हमें दिए हैं अनमोल खजाने
और पर्यटन के लिए दिए हैं ढ़ेरों नज़ारे,
हर जगह हर स्थान पर अदभुत है प्रकृति
और अपनी सुंदर संरचना से गर्वित है प्रकृति।
कहीं रेगिस्तानी टीले हैं तो कहीं बर्फीली पहाड़ियाँ
कहीं हरी-भरी घाटियाँ हैं तो कहीं पर्वत कहते हैं कहानियाँ,
कहीं फूलों की वादियाँ में बस गई प्रकृति
तो कहीं सोने की खदान बन गई प्रकृति।
इसने हमको ढ़ेरों संसाधन दे दिए
और ज्ञान और विज्ञान के परचम लहरा दिए,
हर रूप में प्रकृति अभिमान है हमारा
और इस बिना नहीं कोई जीवन का सहारा।
सूरज की रौशनी हमें देती है प्रकृति
और चंदा की शीतल चाँदनी लाती है प्रकृति,
इसने ही हमें अँधेरों में उजास दे दिया
और इस अद्भुत मानवता का हमें इतिहास दिया।
जीवन हमारा प्रकृति ने आसान कर दिया
और ढेरों सुविधाओं से सबको मालामाल कर दिया,
इसके लिए प्रकृति का धन्यवाद करना है
और इसका करके संरक्षण सम्मान करना है।
माना कि मानव विकास का प्यासा है
पर प्रकृति का संरक्षण भी सबकी अभिलाषा है,
"प्रेम" से प्रकृति का हमें सदा रखना है ध्यान
नहीं तो इस मानव जाति का हो जाएगा विनाश।
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मानव जीवन के लिए प्रकृति वरदान स्वरुप है। इसने मनुष्य को इतना कुछ दिया है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते है। यह हमारे हर दुःख दर्द में सहायक है और हमारे सुख और आनंद को यह हमेशा बढ़ाती है। यह हमें रोज़ नए जीवन का अनुभव कराती है और हमारी आने वाली पीढियों के लिए अपनी स्रोत और सम्पदा निरंतर बनाए रखती है। परन्तु प्रगति और विकास और आधुनिक भौतिक सुविधाओं के चक्कर में मनुष्य प्रकृति का हरण कर रहा है जिससे यह सुन्दर प्रकृति दुखित है।