ऐसा क्यों होता है ?  Alok Vidyachandra Tripathi

ऐसा क्यों होता है ?

Alok Vidyachandra Tripathi

क्यों को क्यों सोचते हो
यह तो प्रश्नों का सार है,
क्यों का ही संसार है।
 

दिल की धड़कनों में
भावों की तरंगों में,
कवियों की कविता में
जीवन की सरिता में।
 

महफ़िल के साजों में
दिल की आवाज़ों में,
विरह की तडपन में
मिलन की हलचल में।
 

जीवन में ख्वाबों में
मौत के अल्फाजों में,
क्यों का ही सार हैं
क्यों जन्म पाया है ,
क्यों मृत्यु होती है?
क्यों ख्वाब पलते हैं,
क्यों नींद खोती है?
क्यों दिल धड़कता है
भावों में तड़पता है।
 

क्यों साँस की डोर होती है जीवन,
क्यों साँस रुकने से हो जाता है मरण?
क्यों कोई स्वार्थी है,
क्यों कोई लालची है?
क्यों कोई क्रोधी है,
क्यों कोई जोगी है?
क्यों मानव मानवता से दूर चला जाता है,
क्यों दिल की बातों को समझ नहीं पाता है?
चलो क्यों को जाने हम,
खुद को पहचाने हम।

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