झूठे इन किरदारों में मुझको कैसे पाओगे  Ravindra Kumar Soni

झूठे इन किरदारों में मुझको कैसे पाओगे

Ravindra Kumar Soni

झूठे इन किरदारों में मुझको कैसे पाओगे,
गन्ध गुलाबों की कांटो में कैसे लाओगे।
 

जिनको बोध नहीं सच का, सच को वो समझाते हैं,
बहकर असत्य की धारा में, सच की पतवार चलाते हैं।
जो रिश्तों के बंधन को षडयंत्रो से तोला करते हैं,
रहकर धारा में अक्सर, कश्ती को छिद्रित करते हैं।
उस छिद्रित कश्ती को साहिल तक कैसे लाओगे,
झूठे इन किरदारों में मुझको कैसे पाओगे।
 

समझ सके ना जो अंधियारा, उजियारा वही समझाते हैं,
सुरों का ज्ञान नहीं जिनको, वो गीत प्रेम के गाते हैं।
जो अमृत की गरिमा को विष से तोला करते हैं,
रहकर बागों में अक्सर फूलों को शुलित करते हैं।
उन शुलित फूलों को कैसे तुम खिलाओगे,
झूठे इन किरदारों में मुझको कैसे पाओगे।
 

समझ सके ना जो दुख को, सुख को वही समझाते हैं,
शब्दों का ज्ञान नहीं जिनको, वाणी का मोल बताते हैं।
जो प्रेम भरे शब्दों को नफरत से तोला करते हैं,
रहकर पुष्पों से काँटों की भांति बोला करते हैं।
उन काँटों सी वाणी को कैसे कोमल बनाओगे,
झूठे इन किरदारों में मुझको कैसे पाओगे।
 

जिनको बोध नहीं अंगार का, शीतलता को वो समझाते हैं,
मरुथल का ज्ञान नहीं जिनको, बारिश का मोल बताते हैं।
जो तृष्णा को धन से ही तोला करते हैं,
रहकर पथ में अक्सर, अंगार सजाया करते हैं
उस अंगार से सज्जित पथ पर कैसे कदम बढ़ाओगे,
झूठे इन किरदारों में मुझको कैसे पाओगे।

अपने विचार साझा करें




1
ने पसंद किया
1407
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com