ज़िन्दगी कैसे जीनी है ? SANDEEP MENGHANI
ज़िन्दगी कैसे जीनी है ?
SANDEEP MENGHANIताक़ीद ना करो मुझे ज़िन्दगी कैसे जीनी है,
बहुत जी लिया ऐसे, अब ज़रा वैसे जीनी है।
बड़ा मुश्किल है, ये लम्बा सफर ज़िन्दगी का,
काफी गुज़र गई, बाकी भी जैसे तैसे जीनी है।
न बहारों का एहतराम, न खिज़ा से शिकवा,
अब तो ज़िन्दगी, गुलशन के फूलों जैसे जीनी है।
अपने विचार साझा करें
अक्सर सब लोग बताते रहते हैं कि ज़िन्दगी कैसे जीनी चाहिए और सारी ज़िन्दगी इंसान यही समझने की कोशिश करता रहता है, कि आखिर ज़िन्दगी जीने का सही तरीक़ा है क्या ? कभी लगता है, ये सही है, कभी लगता है वैसे जीते तो ज़्यादा अच्छा था ... सारी ज़िन्दगी इसी कश्मकश में निकल जाती है, कि आखिर ज़िन्दगी कैसे जीनी है।