हाँ मैं हूँ VIKAS UPAMANYU
हाँ मैं हूँ
VIKAS UPAMANYUहाँ मैं हूँ,
क्या मैं ही हूँ?
हाँ हाँ मैं ही हूँ।
मैं एक सागर हूँ,
क्या मैं ही सागर हूँ?
सूखा है मन लेकिन
फिर भी मस्त हूँ,
क्योंकि मै ही सागर हूँ।
मै एक किनारा हूँ,
क्या मैं ही वो किनारा हूँ,
दूर हूँ लेकिन
फिर भी साथ निभा रहा हूँ,
हाँ हाँ मैं वो ही किनारा हूँ।
हाँ मैं पानी हूँ,
क्या मैं ही पानी हूँ,
नम नहीं
श्वेत है मन मेरा,
क्योंकि मैं ही पानी हूँ।