अगर वो! Roshan Barnwal
अगर वो!
Roshan Barnwalजिस कागज की वो आइसक्रीम खा रहे थे,
उन्ही के लिए सिसकता देख रहा हूँ,
शेयरिंग इस केयरिंग के वो नायब लफ्ज,
पर मासूमों की लाचारगी भी देख रहा हूँ।
खैर खुदा है न, पर कुछ करता तब तो!
अगर वो होता तब तो।
सड़कों और गलियारों में धुंध छा रही है,
इधर मानवता ही इंसानियत को खा रही है,
आज हर कोई बिना उजाले के ही जगा है,
अरे जिसके सर पर छत है वो भी तो भीगा है।
सूरज है न, पर चमकता तब तो!
अगर वो होता तब तो।
80 का हूँ थोड़ा कमज़ोर हो गया हूँ,
लोग कहतें हैं, मैं पहले से बदल गया हूँ,
आज ऊँचाई से दुनिया को देखने की सोची है,
एक और बात, आज ही मैंने अपने लाडले की घडी भी बेची है।
शांति है न, पर थमती तब तो!
अगर वो होती तब तो।
इतना बुरा भी नहीं था ये नया कॉलेज,
हाँ मगर इधर स्टार भी वही है न, जिसके पास है ढेरों नॉलेज,
तुम चुप रहो ! वो मुझे दिखावे से थोड़ी ही पसंद करती है,
सही थे यार तुम वो तो अब मेरे मैसेज का रिप्लाई भी नहीं करती है।
ये स्पेशल है न, पर रूकती तब तो!
अगर वो होती तब तो।
चलो अब जॉब की तैयारी करते हैं,
अपन लोग न चल अब कॉलेज टॉप करतें हैं,
मिल गई नौकरी अब मेहनत करो,
देवदास क्यूँ बने हो? ज़िन्दगी की ओर शिरकत करो।
वक़्त कितना काम है न, पर धीरे चलता तब तो!
अगर वो होता तब तो।
ये लो इसकी तो शादी भी हो गई, बच्चे भी हो गए,
समय घूमा और बच्चे अपने पैरों पर खड़े भी हो गए,
आज 35 साल बीत गए बिटिया ब्याहनी है,
बेटे भी बड़े हो गए अभी उनकी भी तो कहानी है।
जो भी कान्हा है न, पर मुरली बजती तब तो!
अगर वो होते तब तो।
आज बहु को वो बेटी बोल रहे थे,
और उस बेटी के गहने भी तौल रहे थे,
वजन कम है जला दें क्या?
नहीं! तो हमारी लालच की भूख को खिलाओगे क्या?
मेरी बिटिया शिव की पुजारिन थी न,
पर गंगा आग को बुझाती तब तो!
अगर वो होती तब तो।
मेरे न चार लाड़ले, बुढ़ापे की चार लाठी,
और हाँ, नहीं सुनते अब वो लकड़ी की काठी,
ज़िन्दगी कठिन थी, तो क्या बुढ़ापे में मै राजा बनूँगा,
आँखे डबडबा गईं हैं, बेटा! मै किधर रहूँगा?
मत बोलो, सबसे छोटा है न, पर वो दिखता तब तो?
अगर वो होता तब तो।
सोचते-सोचते आँखे भर आईं हैं,
अरे हाँ, घड़ी के पैसे तो हैं ही भूख भी लौट आई है,
पर ये क्या मेरा वॉलेट कहाँ गया?
अह! शायद मेरे हिस्से का कागज,
वो लड़का ले कर भाग गया।
भूखा नहीं रह सकता मैं भले बहुत हैं, है न?
पर मिलते तब तो!
अगर वो होते तब तो।