हमारी लॉन्ग डिस्टेंस शादी  Sarika Tripathi

हमारी लॉन्ग डिस्टेंस शादी

Sarika Tripathi

ये रिश्ता प्यारा-प्यारा सा
मेरे मन को भाता है!
है युगों पुराना ये रिवाज़,
फिर भी समझ नहीं ये आता है।
मिल जाए इसमें कितना भी
पर मन कुछ और चाहता है,
तुम कहते भी कुछ कम ही हो,
कुछ सुन ये दिल कम पाता है।
 

रहते अपनी-अपनी दुनिया में हम
कब साथ आएँगे पता नहीं,
इस बंधन में हैं बँधे हुए
कब इसे निभाएंगे पता नहीं,
एक इक दिन गिन-गिन के जीते
कहते जन्मों का नाता है।
 

तुम आते हो तुम जाते हो
हमको बहुत सताते हो,
मैं भागूँ कितना भी पीछे
तुम दूर निकलते जाते हो,
सोचा रोकूँ तुमसे कह दूँ
रुक जाओ यहीं तुम जाओ नहीं!
पर कैसे ले लूँ वो मौका तुमसे
मैं इतनी तो स्वार्थी नहीं !
 

मैं सोचूँ मैं ही चल दूँ फिर
बस छोड़ के अपने काम सभी,
पर ये ना हो कि आगे जाके
मैं तुमको दूँ इल्जाम सभी !
है मुश्किल पर हिम्मत भी
ये रिश्ता देता जाता है,
मैं हूँ तुम हो जब साथ खड़े
तो आए जो भी आता है।

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