वेदना  Roshan Barnwal

वेदना

Roshan Barnwal

साए ने कहा, ना छोड़ूँगा तुम्हारा साथ,
पर अँधेरा आते ही गम सा हो गया।
 

रौशनी ने कहा, रहेंगे साथ तुम्हारे
पर साँझ होते ही लापता हो गई।
 

बारिशों ने कहा रखेंगे गीला तुम्हे अपनी बूंदों से
पर बादल छँटते ही चली गई।
 

हवाओं ने कहा सहलाएँगे तुम्हे
पर ना जाने क्यूँ थम सी गयीं।
 

दोस्तों ने कहा हम हैं न,
अब तो उनकी एक झलक को आँखें तरस जाती हैं।
 

साँसें चलती तो हैं पर,
उन्होंने भी कह दिया, भरोसा नहीं है हमारा।
 

धड़कनें तो कुछ बोलती ही नहीं,
बस कभी तेज़ तो कभी धीमी सी हो जाती हैं।
 

कल तक जिन पर टिकी थी मेरी खुशियों की सुई,
वो आज पहचानते तक नहीं।
 

ज़िन्दगी का खेल भी बड़ा अजीब है,
दो पल में खुशियों के घूँट पिला देती है
और फिर गम के दरिया में धकेल देती है।
 

आओ तुम्हें एक राज़ बताऊँ,
दुनिया की हँसी चेहरे के पीछे का सच दिखाऊँ,
मत करना भरोसा हर एक पर,
न फिसल जाना ख़ूबसूरती की रेत पर,
बातें करेंगी उसकी तुम्हें पागल,
पर न भूल जाना अपनी माँ के काजल के रेख को।

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