तू जिस राह से गुज़रे  SHIV VIBHUTI NARAYAN

तू जिस राह से गुज़रे

SHIV VIBHUTI NARAYAN

तू जिस राह से गुज़रे
तेरी उस राह से गुज़रूँ,
तुझे अपनी आँखों में
एक तस्वीर बनाता हूँ।
 

तेरी आँखें हैं ये चंचल
जिसमें प्यार छलकता है,
तेरे होंठों से मधु टपके
तेरी मुस्कान पे मरते हैं।
 

जब तू हँसती है
मुरझाए फूल खिल जाएँ,
तुझको देख चंदा भी
अपनी राह भूल जाए।
 

जब तेरी नज़र मेरी नज़र से
यूँ टकरा जाती है,
मेरे दिल के तो तारों में
इक झंकार सी बजती है।
 

मेरे सामने से यूँ
जब तू गुज़रती है,
लगे मेरी ये दुनिया तो
तेरे ही साथ चलती है।
 

तू मुझसे दूर जाती है
अकेला महसूस करता हूँ,
तू जिस दिन नहीं दिखती
तुझे ख्वाबों में देखता हूँ।

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