ईश्वर के वरदान हैं हम  SHIV VIBHUTI NARAYAN

ईश्वर के वरदान हैं हम

SHIV VIBHUTI NARAYAN

ईश्वर के वरदान हैं हम,
क्यों भूलें अपना धरम करम।
 

मैंने देखा फूलों को,
सभी देख मुस्करा रहे थे हमें,
यह देख हुआ आश्चर्य मुझे।
 

मैंने पूछा फूलों से
क्यों मुस्करा रहे हो देख मुझे,
क्या कमी आ गई मुझमें।
 

कहने लगे देख मानव,
ना हमने छोड़ी अपनी कोमलता,
ना छोड़ा अपनी सुगंध बाँटना।
 

लेकिन हे मानव,
क्यों छोड़ दी अपनी मानवता,
क्यों छोड़ दी अपनी मनुष्यता।
 

सुन हुआ दुःख मुझे,
बात आई समझ, भूल गए अपना धरम,
आज मानव हो गया मानव का दुश्मन।
 

सच है यह बात
आज मानव के अन्दर है पाप भरा,
पैसों के लिए काटे एक दूजे का गला।
 

आओ हम मिलकर गाएँ
ईश्वर के वरदान हैं हम,
क्यों भूलें अपना धरम करम।

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