मकड़ी SANTOSH GUPTA
मकड़ी
SANTOSH GUPTAएक मकड़ी जब जाल बुनती है,
ज़िन्दगी की हर चाल चुनती है।
दुनिया के भरोसे नहीं जीना उसे,
बस अपने दिल की आवाज़ सुनती है।
हार जीत के मोह से दूर है वो,
असंभव का मतलब वह नहीं जानती,
अपनी कोशिश में प्रयत्नशील है वो,
वह खुद को अयोग्य नहीं मानती।
उसे किसी ने बताया नहीं
कि तू कर नहीं सकती उस काम को,
उसे किसी ने सिखाया नहीं
कि नहीं पा सकती उस मुकाम को।
जब ठाना है करने को
तो करते ही रहना है,
खुद से खुद की लड़ाई है बस
किस बात से डरना है।
पाना तय है लक्ष्य को
गर ठाना है बस पाने को,
सीख तू मकड़ी से कुछ
छोड़ दे सब बहाने को,
खुद के जाल बनाकर चल
अपने जाल को बढ़ाने को।