भ्रष्टाचार का बोल-बाला ABHISHEK KUMAR GUPTA
भ्रष्टाचार का बोल-बाला
ABHISHEK KUMAR GUPTAभ्रष्टाचार का
है बोल-बाला,
सच्चे का मुँह काला,
नेता निकाल रहे
जनता का दिवाला।
मुँह की रोटी भी ये छीन खाते,
सारी जनता को ये हैं रुलाते,
घोटाले ये करते हैं
पर ना किसी से डरते हैं,
इनका कोई कुछ नहीं करता
ये है कुकर्मों वाला,
नेता निकाल रहे
जनता का दिवाला।
इक दफा जो ये हैं जीत जाते,
देश को लूटने का परमिट पा जाते,
इतना माल छुपाते हैं
सारी उमरभर खाते हैं,
आने वाली पीढ़ियों का भी
फ्यूचर सिक्योर कर डाला,
नेता निकाल रहे
जनता का दिवाला।
जब ये भाषण की सरिता बहाते,
सबको फील गुड के सपने दिखाते,
सामने से ये लड़ते हैं
पीछे गले ये मिलते हैं,
कब किस पार्टी मे चले जाएँ
इनका नहीं ठिकाना,
नेता निकाल रहे
जनता का दिवाला।
वक्त जब-जब इलेक्शन का आता,
इनको जनता कि याद दिलाता,
हर चौखट पर जाते हैं
हाथ जोड़ घिघियाते हैं,
ऐसे ही वक्त पे याद आती है
इनको इनकी खाला,
नेता निकाल रहे
जनता का दिवाला।