कोई लौट कर आया है...  SATYENDRA KUMAR PRAJAPATI

कोई लौट कर आया है...

SATYENDRA KUMAR PRAJAPATI

एक जिगर का टुकड़ा अपनी माँ से मिलने आया है,
एक भाई अपनी बहन को सताने आया है,
अरसे से बैठी है जो इन्तजार में,
लगता है उसको दीदार कराने आया है।
 

शायद सरहद से कोई लौट कर आया है,
बस कुछ पल में खुशियाँ ही खुशियाँ आने वाली हैं,
इन खुशियों से ना जाने कितनी आँखें रोने वाली हैं,
लगता है इस मंजर को देखने बरसात भी आने वाली है।
 

इन बूंदों ने तन्हाई में किसी को ना जाने कितने सावन तड़पाए है,
लेकिन आज वो सावन भी दीदार करने को आया है,
लगता है सरहद से कोई लौट कर आया है।
 

उफ़......
ये खुशियों का मंजर इतना खामोश क्यों हो गया है,
जरा सम्भालो कोई इन दिलों को इनका तूफान क्यों थम गया है,
इनके दिलों का एक-एक टुकड़ा हज़ारों आँसू रो गया है,
लगता है किसी का जिगर का टुकड़ा गहरी नींद सो गया है।
 

एक बूढ़े बाप का जवान बेटा सरहद पर शहीद हो गया है,
शायद किसी का इंतजार भी इंतजार ही रह गया है,
इस बहन का वो सताने वाला भाई खामोश होकर आया है,
यकीनन सरहद से कोई लौट कर आया है।
 

धरती माँ का एक वीर सपूत, हज़ारों को मार कर आया है,
लाखों दुश्मनों को रणभूमि से खदेड़ कर आया है,
कर्ज था जो इस मिट्टी का, बख़ूबी चुका कर आया है,
एक अमर जवान सरहद से लौट कर आया है।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
1015
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com