यादें  Mohanjeet Kukreja

यादें

Mohanjeet Kukreja

बेहद भारी हैं
यादें हमारी...
किसी पहाड़ सी!
इसलिए मैं
छोड़े जा
रही हूँ आज,
एक लकड़ी के
संदूक में
इनको क़ैद...
अगर तुम कभी
लौट कर आओ
तो रख लेना
उन्हें अपने पास;
आख़िर
जितनी वो मेरी हैं
उतनी ही
तुम्हारी भी तो हैं!

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