जनता को फुसलाने फिरसे चुनाव आया है SANTOSH GUPTA
जनता को फुसलाने फिरसे चुनाव आया है
SANTOSH GUPTAनेताजी ने फिर से नया पेंच दाव लगाया है,
जनता को फुसलाने फिर से चुनाव आया है।
आका बनाकर जनता को जिन्न बने फिर नेताजी,
गरीबों के साथ बैठकर दीन बने फिर नेता जी।
बाहुबली को देखो फिर बना कटप्पा है,
चुनावों के बाद जिसने पीठ में छूरा घोपा है।
नेताजी के कारवां का गाँवों की ओर घुमाव आया है,
जनता को फुसलाने फिर से चुनाव आया है।
कई रंगों को भीतर समाए सफेद हैं दिखते नेताजी,
वादों को निभाने से परहेज करते हैं नेताजी।
नेताजी के लिए जनता का अर्थ कुछ और नहीं बस वोट है,
लक्ष्य उनका विकास नहीं बस कुर्सी और नोट है।
नेताजी ने जनता से फिर लगाव लगाया है,
जनता को फुसलाने फिर से चुनाव आया है।
हाथ जोड़ते नेताजी कल पीठ दिखाते जाएँगे,
जनादेश की बात करते कल ढ़ीठ हो जाएँगे।
गंगा में फिर उल्टा बहाव आया है,
जनता को फुसलाने फिर से चुनाव आया है।