हिमा दास VIVEK ROUSHAN
हिमा दास
VIVEK ROUSHANतुम दौड़ रही थीं
हिरणी से भी तेज़
अपने छोटे-छोटे पैरों से,
कभी न हार मानने वाले
जज़्बे के साथ,
तुम्हारे अन्दर करोड़ों
भारतीयों के सपने थे।
पर दुःख इस बात का है
कि उन करोड़ों लोगों के
अन्दर तुम कहीं नहीं थी,
क्योंकि तुम विराट कोहली नहीं थीं,
तुम महेंद्र सिंह धोनी नहीं थीं,
तुम्हारी जीत ने वो आवाज़,
वो गूँज इस देश में नहीं पैदा की
जो अमीरों की एक हार ने पैदा की।
यह गरीब देश है "हिमा"
जहाँ अमीरों की हार पर
दुःख मनाया जाता है,
और गरीबों की जीत पर भी
दुःख मनाया जाता है।
"हिमा" तुम्हारी जीत ने,
तुम्हारे जज़्बे ने
उन लोगों को सुन्न कर दिया है
जो लोग बेआवाज़ जबड़ों
को सभ्यता मानते हैं,
और गरीबों की ख़ामोशी को
अपनी जीत बताते हैं,
ये वो लोग हैं जो सबसे
खतरनाक होते हैं।