यादें  DEVENDRA PRATAP VERMA

यादें

DEVENDRA PRATAP VERMA

दिन गुज़रते रहे रात कटती रही,
तू सितारों में झिलमिल चमकती रही।
 

तुझको खोया है जो पा भी जाऊँगा पर
फिर से ऐसी अधूरी कहानी न हो,
एक घड़ी हो मुकम्मल मुलाकात की
उम्र सारी विरह में बितानी न हो।
 

तेरे जाने से सुलझी हुई ज़िन्दगी,
ग़म के धागों में फँसकर उलझती रही।
 

वक़्त के जोर से सब बदल सा गया
गीत खुशियों के आंगन में बजने लगे,
इक नई साज सज्जा सुसज्जित हुई
ख़्वाब सारे हकीकत में सजने लगे।
 

बूढ़े पीपल से माँगी मनौती तेरी,
मेरे दामन को खुशियों से भरती रही।
 

प्रेम वरदान है ज़िन्दगी के लिए
नफरतों के जहर से बचाना प्रिये,
प्रेम का रूप हो प्रेम के रूप में
फिर मेरी ज़िन्दगी में आना प्रिये।
 

भूल सकता नहीं भूलकर भी कभी,
प्रेम की बाँसुरी में तू बजती रही।
 

दिन गुज़रते रहे रात कटती रही,
तू सितारों में झिलमिल चमकती रही।

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