सात वायदे  shivam goyal

सात वायदे

shivam goyal

तुम्हें याद है वो पहली-पहली मुलाकातें
जब मैं अतीत के सवालों में उलझा रहता,
और तुम बस एक मुस्कान से सब सुलझा देते,
यह था तुम्हारा पहला वायदा।
 

तुम्हें याद है वो हल्की सर्द शामें
जब मैं किसी बच्चे की तरह बातों से परेशान करता,
और तुम बस मेरे बचपन में कहीं खोकर सुनते रहते।
यह था तुम्हारा दूसरा वायदा।
 

तुम्हें याद है वो हमारे बीच की लकीरें
जब मैं तुम्हारे एक अक्स के लिए हज़ार बहाने ढूँढ़ता,
और तुम्हारे वो इंकार भी मुझको तुमसे बाँधे रखता,
यह था तुम्हारा तीसरा वायदा।
 

तुम्हें याद है वो दूसरे पहर की रातें
जब मैं तुमसे चांद तारे तोड़कर लाने की बात करता
और तुम बड़े अदब से ना कहकर मेरा माथे को सहलाते
यह था तुम्हारा चौथा वायदा
 

तुम्हें याद है वो हमारी मीठी तकरारें
जब मैं बेवजह तुमसे नराज़ हो जाया करता था,
और तुम अपनी मासूमियत से मुझे मना ही लेते,
यह था तुम्हारा पाँचवा वायदा।
 

तुम्हें याद है वो समुद्र किनारे के सपने
जब मैं रेत के आलीशान मकान की ख्वाहिश करता,
और तुम अपनी खनकती आवाज़ से उसे घर बना देते,
यह था तुम्हारा छठा वायदा।
 

तुम्हें याद है वो अपने आखिरी दिनों की बातें
जब मैं तुम्हारे दर्द देख अक्सर रो जाया करता,
और तुम बस मुस्कुरा कर कहते, साथ चलते हैं,
यह था तुम्हारा आखिरी सातवाँ वायदा।

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