मेरा बहाव Shivank Sahay
मेरा बहाव
Shivank Sahayमैं रोज़ चलता हूँ, रोज़ पढ़ता हूँ,
मैं रोज़ देखता हूँ, मैं सब करता हूँ अनवरत करता हूँ
फिर सोचता हूँ रुक जाए ये ज़िन्दगी कुछ हसरतें पल रही हैं,
अब थक सी रही है ज़िन्दगी, नित्य संघर्षरत है ज़िन्दगी
यही जीवन का सार है, यही जीवन का सार है,
संघर्ष ही ज़िन्दगी है, संघर्ष ही ज़िन्दगी है।