सच बज़ार में कभी बिका ही नहीं VIVEK ROUSHAN
सच बज़ार में कभी बिका ही नहीं
VIVEK ROUSHANकिसी से मुझे कोई गिला ही नहीं,
क्या दर्द है दिल को पता ही नहीं।
हर वक़्त आँखों में नमीं सी रहती है,
अश्क़ आँखों का कभी सूखा ही नहीं।
कोई है जो दिल में घर कर बैठा है,
खामोश रहता है कुछ बोलता ही नहीं।
मैं अकेला ही गया जहाँ भी गया,
सच बताऊँ, मैं कभी डरा ही नहीं।
झूठ को खरीदने वालों की कमी न थी,
सच बज़ार में कभी बिका ही नहीं।
दिल ने महसूस किया जो वही लिखा,
जो नहीं देखा कभी वो कहा ही नहीं।