मुझे ना कोई श्याम मिला  surbhi kanungo

मुझे ना कोई श्याम मिला

surbhi kanungo

खोजा मैनें लाख जतन कर
मुझे ना कोई श्याम मिला,
यूँ तो छला हैं सभी ने मुझको,
छ्ले जो अपने प्रेम से मुझको
छलिया ना कोई ऐसा मिला।
 

बजी है जब-जब कृष्ण की बाँसुरी
प्रेम में डूबा जग ये सारा,
कृष्ण ना कोई ऐसा मिला
राधा की हर उलझन वो
समझे गाँठ वो सारी मन की।
 

खोले मेरे मन की गाँठ जो
श्याम ना कोई ऐसा मिला,
रुठे जब कृष्ण से उसकी राधा
भाए ना कृष्ण को जग ये सारा
मनमीत ना कोई ऐसा मिला।
 

राधा संग है प्रीत कृष्ण की
एक डोर जो खींचे अटूट प्रेम की,
बाँधे मुझे ज़ो प्रीत की डोर से
मनमीत ना कोई ऐसा मिला।
 

मैल नहीं हैं जिसके मन में
ना है मिलावट प्रेम में उसके
मनमीत ना कोई ऐसा मिला।
 

उसका मोर पंख हैं रंगों से भरा
जैसे वो हैं हर भाव से भरा,
कर दे भावविभोर जो प्रेम से अपने
मनमीत ना कोई ऐसा मिला।
 

राधा का हर काम वो साधे
दुख भी उसकेआधे बाँटे
मनमीत ना कोई ऐसा मिला।
 

प्रेम की आड़ में कामनाओं का खेल है खेला
प्रीत तेरी वो जग ये भूला,
राधा फिर से धारा बनी हैं
चली हैं आज कृष्ण से दूर।
 

सूख गई है नदी वो प्रेम की
चली थी जो सागर की ओर,
चाँद है भूला आज चकोर को
हुआ है खुद में मगन वो बावरा।
 

बजा दे फिर से प्रेमधुन वो
प्रेम में भीगे फिर से जग ये सारा,
श्याम रंग में रंग दे सबको
प्रेमरास में फिर से झूमे जग ये सारा।
 

धारा को फिर से राधा बना दे
प्रेम की इस नदी को आज़ सागर से मिला दे,
श्याम तेरे बिन ये राधा है अधूरी
खोजा इसने लाख जतन कर
इसे ना कोई श्याम मिला।

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