महाकाल Rahul Kumar Mishra
महाकाल
Rahul Kumar Mishraहे ओमकार, हे निराकार,
हे सकल भुवन के चिर स्वामी!
कैलाशपति, देवादिदेव,
हे महाकाल, अंतर्यामी !!
शशि की शीतलता तुम से,
सुरसरि की निर्मलता तुम से,
तुम सकल शून्य के सृजनकार,
जीवन की अविरलता तुमसे !!
तुम ही हो अंतिम अटल सत्य,
तुम कालचक्र तुम प्रलयकाल!
तुम गरल, हलाहल के त्रिषित,
तुम नीलकंठ तुम महाकाल!!
डम-डम डमरू का नाद तुम,
हे कालजयी, हे भगवंता!
तुम चर अचराचर के स्वामी,
हे संहारक, हे अरिहंता!!
तुझमें विलीन ब्रह्मांड सकल,
तुम आदिशक्ति के प्रियतम हो!
तुम क्षिति, जल, पावक, गगन शेष!
तुम ही समीर का उद्गम हो!!
तुम परम कृपा के अक्षय स्रोत,
तुम धन्य धनंजय कैलाशी !
तुम शिव, गंगाधर, मृत्युंजय,
तुम रौद्र रुद्र तुम अविनाशी!!
हे परशुहस्त, हे मृगपाणी,
त्रिपुरांतक, भोले, भूतपति,
हे देव श्रेष्ठ, हे महादेव
त्रिभुवन, जगस्वामी, नागपति!!
मैं जड़मति, मूढ़, परमलोभी,
हे महा ईश उद्धार करो,
सब अवगुण, पाप पे तांडव कर,
मेरी भक्ति स्वीकार करो!!
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देवाधिदेव महादेव को प्रणाम करती मेरी यह कृति उनके समस्त रूपों को मेरी तरफ से छोटा सा अर्पण है! आज के तकनीकि रूप से ग्रसित जीवन में नव पीढ़ियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है कि वे अपने संस्कारों, मूल्यों एवं तकनीकी दक्षता में सामंजस्य स्थापित करें! दैनिक व्यस्तता के बाद भी अपने मन को थोड़ा धार्मिक क्रिया कलापों की ओर अग्रसर करें!! मेरी ओर से महादेव शिव के चरणों में साष्टांग भेंट!!