इश्क़ की औकात Maharshi Pathak
इश्क़ की औकात
Maharshi Pathakएक ग़लती की हमसे मोहब्बत में वफ़ा हो गया,
बेवफ़ा से मुख़ातिब ईमान रखा जो ख़ता हो गया।
ठोकर खा के इश्क़ की गली तालीम ऐसी मिली,
मुझे प्यार इश्क़ वफ़ा... का औकात पता हो गया।
मेरी मोहब्बत में तुम मुझपे आज हर सितम कर लो,
मेरे जनाजे में आओ पर थोड़ा सज लो सँवर लो।
मेरी जलती हुई चिता को अपनी आँखो से देखो,
गर प्यार सच्चा लगे तो मेरी राख़ से अपनी माँग भर लो।