मैं रावण हूँ  Aman Pandey

मैं रावण हूँ

Aman Pandey

मैं समय नहीं वो पावन हूँ,
शीत, बसन्त ना सावन हूँ,
मैं मुर्दा दिल एक दानव हूँ,
मैं राम नहीं हूँ, रावण हूँ।।१।।
 

क्रोध, ईर्ष्या, अहंकार,
हर बुरे गुण का अंश हूँ मैं,
उस ब्राह्मण कुल का वंश हूँ मैं,
मैं श्याम नहीं हूँ, कंस हूँ मैं।।२।।
 

हर गलत कर्म का आतुर हूँ,
सुन्दर, ताकतवर, वासु हूँ,
मैं खून भरा एक आँसू हूँ,
मैं दुर्गा नहीं, महिषासुर हूँ ।।३।।
 

कभी नहीं टलने वाली,
हर अपशगुन की घड़ी हूँ मैं,
हर वक़्त सफल, वो छली हूँ मैं,
मैं कल्कि नहीं हूँ, कलि हूँ मैं।।४।।
 

किससे डर कर तू भाग रहा?
मैं बाहर नहीं हूँ, अंदर हूँ,
सबको ले डूबे वो समंदर हूँ,
मैं महेश नहीं हूँ, जलंधर हूँ।।५।।
 

ना मानव, ना संत हूँ मैं,
शुक्राचार्य का घमण्ड हूँ मैं,
अजर, अमर, बुलंद हूँ मैं,
मैं आदि नहीं हूँ, अंत हूँ मैं।।६।।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
1305
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com