कलयुग में तुम्हें आना होगा अशोक कुमार पारीक
कलयुग में तुम्हें आना होगा
अशोक कुमार पारीकहो रहे है चीरहरण यहाँ, अब चिर तुम्हें बढ़ाना होगा,
हे कृष्णमुरारी, चक्रधारी कलयुग में तुम्हें आना होगा।
हो रही है धर्मों में लड़ाई, अब धर्म तुम्हें बचाना होगा,
राम-रहीम के बंधो को, फिर से तुम्हें समझाना होगा।
हे कृष्णमुरारी, चक्रधारी……..
लुट गई है इज़्ज़तें यहाँ, उन इज़्ज़तों को तुम्हें लौटाना होगा,
खुले आम जो घूम रहे, इन भेड़ियों को तुम्हें जलाना होगा।
हे कृष्णमुरारी, चक्रधारी……..
गूँज रही है चीखें यहाँ, इन चीखों को बंद करवाना होगा,
जल रही हैं जो मोमबत्तियाँ, इन सबको न्याय दिलाना होगा।
हे कृष्णमुरारी, चक्रधारी…….
मचा हुआ है आतंक यहाँ, ये आतंक तुम्हें मिटाना होगा,
खुले आम जो घूम रहे (काफिर), इन्हें जहन्नुम पहुँचाना होगा।
हे कृष्णमुरारी, चक्रधारी…….
बढ़ गए हैं अत्याचार यहाँ, ये अत्याचार तुम्हें मिटाना होगा,
इन राक्षसों की नगरी में, मथुरा फिर से बसाना होगा।
हे कृष्णमुरारी, चक्रधारी कलयुग में तुम्हे आना होगा।