विश्वास है तुम आओगी  Shambhu Amalvasi

विश्वास है तुम आओगी

Shambhu Amalvasi

तुम्हारे जाने के बाद
कुछ यादों के अलावा
कुछ बचा नहीं था मेरे पास,
लेकिन अंदर ही अंदर, एक चीख़!
मुझे परेशां करती है,
वो बहुत कोशिश करती है
कि बाहर आकर, सबके सामने
कुछ कह दे, शायद वो
जो मैं तुमसे ना कह पाया हूँ, शायद
वो चीख़ कहना चाहती हो।
 

मैं उस चीख़ को रोज़ मार देता हूँ।
लेकिन वो ज़िद्दी है तुम्हारी तरह
अपने में अड़ी रहती है,
लेकिन मैं भी अड़ा रहता हूँ
उसको काबू में करने के लिए
क्योंकि मेरी भी एक ज़िद है
ये चीख़ तब ही निकले
जब तुम्हारा हाथ, मेरे हाथ
को स्पर्श कर रहा होगा, तुम्हारा बदन
मेरे बदन से कुछ दूरी पर जाकर रूक जाए
और उस चीख़ के लब्ज़
तुम्हारे होंठो पर जाकर
मौन हो जाएँगे....
और तुम बिना कुछ कहे
मेरे सीने से
उस दूरी को कम करते हुए
तुम...!
मुझे लिपट जाओगी....।
विश्वास है तुम,आओगी

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