विश्वास है तुम आओगी Shambhu Amalvasi
विश्वास है तुम आओगी
Shambhu Amalvasiमैं ढूँढ़ रहा था!
तुमसे दूर होने का कारण,
इसलिए मैंने आज फिर उन अठ्ठारह पन्नों
को खोलकर कई बार पढ़कर देखा,
कि जवाब यहीं से मिल जाए,
क्योंकि खेल तो वहीं से शुरू हुआ था ना!
किसी को जानने और पहचानने का
तो जवाब की कोशिश
आज फिर चाह में उठ गई।
मैं जानता था हर बार की तरह
मौन ही जवाब होगा,
यहाँ मौन शांत रहना नहीं था,
ये मौन बस एक एहसास था
जब तुम कह रही थी की मुलाक़ात तो होगी
शायद पहले जैसी नहीं।
मैं अब भी नहीं जान पाया कि वो पहली
मुलाकत कैसी थी हाँ मैं भूल गया हूँ.. क्योंकि
वो तो काल्पनिक थी ना, जिसे तुमने सच कह
दिया था...
अब कुछ दिन और हैं और इन्तज़ार है
कि तुम उन काल्पनिक बातों को सच कर दो।
यक़ीन से नहीं कह सकता लेकिन विश्वास है तुम पर...
तुम सबके सामने नहीं मेरे कानों में
वो अधूरी गुफ़्तुगू करके जाओगी
विश्वास है तुम आओगी.....