डर Anupama Ravindra Singh Thakur
डर
Anupama Ravindra Singh Thakurऐ मन तू कब तक डरेगा?
कब तक चिंताओं से घिरेगा?
जो होना है सो होगा,
फिर सोच कर क्या मिलेगा?
ईश्वर पर भरोसा रख कर
तू केवल अपना कर्म किए जा,
परिणाम की चिंता छोड़ कर
तू अपना श्रेष्ठ दिए जा,
ऐ मन तू कब तक डरेगा?
जीवन युद्ध भूमि है
प्रतिक्षण संग्राम है,
कायर बनकर
कब तक जिएगा?
कभी न कभी तो
मृत्यु से गले मिलेगा।
फिर क्यों ना
अभिमन्यु सा लड़कर
जीवन से पलायन करेगा,
ऐ मन तू कब तक डरेगा ?