माँ  Richa Bipin Pandey

माँ

Richa Bipin Pandey

माँ यदि तुम होती,
सारे सपने मेरे होते..इन सपनों का मैं होता,
घर का आँगन ... घर में झूला,
इन झूलों पर मैं होता।
 

माँ यदि तुम होती,
सारे सपने मेरे होते..
ना होती कोई कविता, कहानी,
ना ही अब मैं रोता हूँ,
तेरे बिन ना जाने कैसे
इतनी राते सोता हूँ।
 

सिर पर आँचल, होंठ पर लोरी,
इन लोरी में मैं होता,
मेरी मुट्ठी मे आँचल ,
इस आँचल का मैं होता,
माँ होती यदि पास मेरे तुम
रात चैन की मैं सोता।
 

माँ यदि तुम होती ... सारे सपने मेरे होते,
इन सपनों का मैं होता...
बड़ा हुआ हूँ अब मैं
पर याद तुम्हारी आती है।
घर से ऑफिस, ऑफिस से घर
बिना टिफिन के जाता हूँ,
भूखे आता भूखे रहता
भूखे ही सो जाता हूँ।
 

मेरे टिफिन में भी रस मलाई,
इन रस मलाई का मैं होता
माँ यदि तुम होती
बिन खाए मैं ना सोता,
माँ यदि तुम होती... सारे सपने मेरे होते
इन सपनों का मैं होता।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
770
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com