योगी कुमार विश्वास  Abhinav Kumar

योगी कुमार विश्वास

Abhinav Kumar

बन जाऊँ मैं काश
जैसे योगी कुमार विश्वास,
हरदम यही आस...
हरदम यही आस।
 

आ जाए मुझमें प्रकाश,
उन जैसा कि काश,
भरसक प्रयास …
भरसक प्रयास।
 

ना किंचित अंधविश्वास,
है लबालब आत्म विश्वास,
इसलिए वे हैं ख़ास…
इसलिए वे हैं ख़ास।
 

करता हूँ मैं अभ्यास,
होता भी हूँ निराश,
मैं थल, वे आकाश...
मैं थल, वे आकाश।
 

वे जैसे कि पलाश,
कद्र जानें हर श्वास,
ना तुलना, वे पचास ...
ना तुलना, वे पचास।
 

ना करते कभी परिहास,
दें मनोबल, जो हो हताश,
हरदम मेरे पास ...
वे हरदम मेरे पास।
 

मनमौजी और बिंदास,
मस्ती संग हर्षोल्लास,
मैं उनका हूँ दास ...
मैं उनका हूँ दास।
 

हैं जैसे रोचक उपन्यास,
रच रहें हैं इतिहास,
वे मखमल, ना कपास ...
वे मखमल, ना कपास।
 

झेले होंगे खूब वनवास,
सुनी होंगी भी बकवास,
हीरे निकले, जब गया तराश ...
हीरे निकले, जब गया तराश।
 

ना चाहें भोगविलास,
लिया जैसे है सन्यास,
शांति की अब तलाश ...
शांति की अब तलाश।
 

त्यागा है तख्तोताज,
सुनें ज़मीर की आवाज़,
हिन्द को इनपर नाज़ ...
हिन्द को इनपर नाज़।
 

अद्भुत इनका है अंदाज़,
मन जैसे शोभन लिबास,
क्या कहने – शाबाश ...
क्या कहने – शाबाश।
 

विनम्र जैसे कि अब्बास,
सीधे सच्चे हैं सुभाष,
करें कुरीतियों का नाश ...
करें कुरीतियों का नाश।
 

अपकारों का इनसे निकास,
उपकारों का इनमें निवास,
भले मानस डॉ विश्वास ...
भले मानस डॉ विश्वास।
 

ना होते, ना करते संत्रास,
विचार खुल्ले, ना कारावास,
कुएँ जैसे बुझाते प्यास ...
कुएँ जैसे बुझाते प्यास।
 

लिखा उपरोक्त सब होशोहवास,
मैं गुलाम, वे इक्का ताश,
ना मिले तो क्या दूरभाष ...
ना मिले तो क्या दूरभाष !

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