बदसूरत लड़कियाँ Riya Gupta Prahelika
बदसूरत लड़कियाँ
Riya Gupta Prahelikaप्रेम में ठुकराई गयीं
बदसूरत लड़कियाँ
अपने श्रृंगार पर
फिर तनिक भी
नहीं देतीं ध्यान,
वो जुटी रहतीं हैं मात्र
कविताओं को सुंदर
बनाने में,
जैसे-जैसे
शब्दों की प्रखरता
चेहरे की नीरसता को
ढँकती जाती है
वैसे - वैसे
अर्थों की वेदना
कला की संवेदना
को प्रकट
करती जाती है,
जब-जब दर्पण
उन्हें स्मरण कराता है
सौंदर्य की पुरातन
परिभाषाएँ,
तब-तब उनकी
कविताएँ रचती हैं
सौंदर्य की
नूतन परिभाषाएँ,
फूलों की सुगंध
और
तितलियों के रंग
से अलंकृत
उनकी पंक्तियों के
अलंकार,
जब पहुँचते हैं
उनके तन पर
तो कुछ रचतें हैं
उनके आभूषण
और कुछ हो जाते हैं
उनका श्रृंगार।